tag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post1526502158112807515..comments2023-07-29T04:48:12.311-07:00Comments on RAJAN SINGH: क्या हम मुसलमानों को आतंकवादी समझते हैं ?राजनhttp://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-84062200907929092012012-03-30T16:52:08.098-07:002012-03-30T16:52:08.098-07:00एक बात और रह गई.कमजोर तबके के लोग खुद अपने पर हो र...एक बात और रह गई.कमजोर तबके के लोग खुद अपने पर हो रहे भेदभाव और अत्याचारों के लिए उतना नहीं चीख रहे चाहे वो दलित हो या आदिवासी या मुसलमान.इनके पैरोकार इसे विषय बनाते हैं कभी दलितवाद के नाम पर तो कभी अल्पसंख्यकवाद के नाम पर.और इन लोगों में से कुछ अतिवादी किस्म के लोग हैं जिनकी वजह से दूसरे वर्गों की छवि खराब होती हैं.और अपनी इमेज कैसी बनाई जा रही हैं इसके लिए सभी को आपत्ति हैं.कभी तिलक तराजू और तलवार को जूते मारने वाली मायावती का अगडी जाति वालों ने विरोध नहीं किया?उनसे पहले कांशीराम या बाबू जगजीवन राम यहाँ तक कि कभी अम्बेडकर साहब के भी अति दलितवादी रवैये का लोगों ने विरोध किया था कई तो अभी भी कर रहे है.क्या एससी/एक्ट और उनके एकतरफा प्रावधानों और दुरुपयोग का सवर्ण विरोध नहीं करते?इस बार यूपी चुनाव में तो ये मुद्दा भी बना था.राजपूत को इस बात पर एतराज हैं कि हमें ही अत्याचारी क्यों माना जाता हैं और फिल्मों में ठाकुरों को ही क्यों विलेन दिखाया जाता हैं जबकि ताकतवर दलित भी अपने से कमजोरों को सताता हैं.ब्राह्मणों को तो ब्राह्मणवाद जैसे शब्द पर ही सख्त आपत्ति हैं कि हजारों साल पहले यदि हमारे पुरखों ने जाति व्यवस्था बनाई तो इसमें हमारा क्या दोष और आज ब्राह्मण शब्द को गाली की तरह क्यों प्रयोग किया जाए (और इस बात पर मैं भी सहमत हूँ)वही बनियों को लगता हैं कि हमें ही क्यों लालची और सूदखोर समझा जाता हैं फिल्मों में लालाओं को अत्याचारी के रूप में दिखाने पर इन्हें भी एतराज हैं खुद दलित भी लालची हो सकता हैं.इसलिए एक पूरे वर्ग पर आप उंगली उठाएँगे और उसकी गलत तस्वीर दिखाएँगे तो लोग आपत्ति करेंगे ही.और हाँ आदिवासियों का पक्ष लेने वाली अरुंधति का भी विरोध होता हैं कि उन्हें आदीवासियों के हकों के लिए लडना हैं लडें लेकिन हिंसा का समर्थन क्यों करती हैं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-29130808150847349652012-03-30T16:03:39.086-07:002012-03-30T16:03:39.086-07:00मैंने पोस्ट में भी ये ही कहा हैं कि इन पर अब ज्याद...मैंने पोस्ट में भी ये ही कहा हैं कि इन पर अब ज्यादा ध्यान देने की जरुरत नहीं हैं क्योंकि ये लोग भी अब समझने लगे हैं कि धर्म के नाम पर स्टंट करने से अब तत्कालिक फायदा भले ही हो जाए लेकिन ज्यादा देर लोगों को भ्रम में नहीं रखा जा सकता.आम हिंदू या मुस्लिम इनकी तरह नहीं सोचता.वैसे अंदर की बात तो ये हैं कि खुद भाजपा या शिवसेना वाले कितने ही नालायक हों लेकिन वो भी ये ही चाहते हैं कि इन आतंकियों को भी फाँसी ही हो और पंजाब में बेअंत सिँह के हत्यारों को बचाने के लिए जो कुछ हो रहा हैं उसका विरोध भी कर रहे हैं पर उतना जोर शोर से इस विषय को नहीं उठाएँगे.क्योंकि इस कवायद का उनकी नज़र में राजनैतिक रूप से कोई फायदा नहीं होने वाला.<br /> अब आते हैं मुस्लिमों को किराये पर रखने वाली बात पर तो मेरा मानना हैं कि यदि कोई मुस्लिम में से नफरत करता हैं तो उसके लिए इतना ही काफी हैं कि सामने वाला मुसलमान है.उसे पक्का पता हैं कि सामने वाला आतंकवादी नहीं हैं लेकिन फिर भी वो उससे नफरत करेगा.जैसे कुछ मुस्लिम भी हैं जो हिंदुओं से नफरत करते हैं केवल इसलिए कि ये दूसरे धर्म का हैं.फैमिली वाले मुसलमान पर भी लोग शक नहीं करेंगे लेकिन यदि सिंगल हैं तो मुसलमान क्या किसीको भी रुम या फ्लैट मिलना बहुत मुश्किल हैं कि कहीं सामने वाला अपराधी चरित्र का तो नहीं.कई तो हुलिया देखकर ही मना कर देंगे तो कई आपके शहर का नाम सुनकर जैसे कि कहना तो नहीं चाहिये लेकिन हमारे यहाँ के भरतपुर जिले के लडकों को दिल्ली जैसी जगहों पर किराये पर रहने के लिए जगह मिलने में बहुत मुश्किल होती है.बल्कि ये भी हो सकता हैं कि वहाँ किसी और राज्य से आए परिवारशुदा मुस्लिम को तो किराए पर रहने को मिल जाएँ लेकिन इन लोगों को नहीं.खैर आप अपनी बात पर कायम रहें यदि आपको ऐसा लगता हैं तो मुझे उसमें कोई परेशानी नहीं हैं.हो सकता हैं कलको मेरी ही राय इस विषय पर बदल जाए.लेकिन अभी तो जो मुझे लगता हैं वही मैं कह रहा हूँ.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-6560916071619357502012-03-30T14:38:49.072-07:002012-03-30T14:38:49.072-07:00अंशुमाला जी,इस पोस्ट में मैंने बहुत सामान्य सी बात...अंशुमाला जी,इस पोस्ट में मैंने बहुत सामान्य सी बातें लिखी हैं क्योंकि इसका संदर्भ किसीके द्वारा अठाए प्रश्न थे.अभी बहुत सी बाते लिखनी बाकी हैं जिन पर हो सकता हैं कोई पोस्ट लिख भी दूँ या न भी लिखूँ.पर अभी आपके सवालों का जवाब दे देता हूँ.<br />अंशुमाला जी देखा जाएँ तो कसाब या अफजल गूरू पर आम आदमी कोई खास नहीं भडक रहा हैं और यदि कोई भडक रहा हैं तो वो हैँ बीजेपी और उसके कुछ सहयोगी दल.और वो लोग कसाब को ही मुद्दा बनाएँगे क्योंकि इसीमें उनका राजनीतिक फायदा हैं ताकि वे कांग्रेस को घेर सकें.अब ये इतना हल्ला मचाएँगें तो कुछ लोग इनके साथ हो ही लेंगे.ये जरूर हैं कि कसाब का नाम लोगों को ज्यादा रटा हुआ हैं क्योंकि मीडिया भी इसे समय समय पर उठाता रहता हैं और वह भी इसीलिए इसे ज्यादा भाव देता हैं क्योंकि संसद पर या मुंबई पर हमले के दृश्य लोगों के जेहन में ताजा हैं,बाकी दोनों मामले जो आप बता रही हैं उनकी तुलना में ये मामले न सिर्फ नये हैं बल्कि इनके तार पाकिस्तान से जुडे हैं और फिर ये दोनों मामले राष्ट्रिय राजनीति से जुडे है न कि क्षेत्रीय जैसा कि बाकी दोनों मामलों में.दक्षिण की राजनीति में तो शेष भारत के लोग वैसे भी ज्यादा रुचि नहीं रखते और ऐसा ही हम उनके बारे में भी कह सकते हैं.राजीव गाँधी की हत्या के कुछ समय बाद यदि ऐसा कोई घटनाक्रम होता तो लोग वैसा ही रिएक्ट करते जैसा कसाब के मामले में हो रहा हैं हालाँकि उसमें भी राजनैतिक पार्टियों का हाथ होता हैं जैसे इंदिरा गाँधी के हत्यारे तो मुस्लिम नहीं थे लेकिन फिर भी कांग्रेस ने सिक्खों के खिलाफ लोगों के आक्रोश को मोडा.उस समय मेरा जन्म नहीं हुआ था पर मैंने अपने माता पिता से सुना हैं कि तब देश की हवा क्या थी.आज तो फिर भी हालात पहले से सही हैं.<br />और आज जो पंजाब में हो रहा हैं आम आदमी तो उसे भी पसंद नहीं करता और चाहता हैं कि किसी भी आतंकवादी को बचना नहीं चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म का हो.कल मैं जितने लोगों से मिला ये ही चर्चा चल रही थी सबमें एक गुस्सा एक खीज हैं ऐसी राजनीति के प्रति जैसे कि आपमें है लेकिन ब्लॉग के अलावा आप कैसे जाहिर करेंगी कि आप ये सब पसंद नहीं करती?<br />हाँ आपको बीजेपी जैसी पार्टियों से शिकायत हैं तो कोई बात नहीं.मैंने इनका समर्थन कब किया?वैसे बीजेपी अकाली मुस्लिम लीग आदि कोई भी हो ये तो वही मुद्दे उठाएँगी जो इनके माफिक आते हैं.<br />जारी...राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-50192054636681268582012-03-30T12:28:15.260-07:002012-03-30T12:28:15.260-07:00अरुण जी,मोनिका जी,सुज्ञ जी और रचना जी आप सभी का पो...अरुण जी,मोनिका जी,सुज्ञ जी और रचना जी आप सभी का पोस्ट पर अपनी राय देने के लिए धन्यवाद |राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-56620165083690203182012-03-29T05:47:03.154-07:002012-03-29T05:47:03.154-07:00great postgreat postरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-84708376463263579192012-03-29T04:54:30.027-07:002012-03-29T04:54:30.027-07:00गम्भीर निष्पक्ष चिंतन हुआ इस विषय पर्।
कुछ लोग तो...गम्भीर निष्पक्ष चिंतन हुआ इस विषय पर्।<br /><br />कुछ लोग तो जानबूझ कर गलत धारणाओं को बल देने में लिप्त रहते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-16813318419701697632012-03-28T17:45:43.282-07:002012-03-28T17:45:43.282-07:00कहीं भीतर तक है इन विचारों की पैठ ...... फिर राजनी...कहीं भीतर तक है इन विचारों की पैठ ...... फिर राजनीतिक उद्देश्य से इन्हें हवा देने वाले भी कम नहीं...... सटीक तर्क प्रस्तुत करता विचारणीय आलेख डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-44679573617788354382012-03-28T10:22:10.988-07:002012-03-28T10:22:10.988-07:00आप की बहुत सी बातो से सहमत हूँ फिर भी , आज पंजाब ...आप की बहुत सी बातो से सहमत हूँ फिर भी , आज पंजाब बंद था अफजल और कसाब को जल्दी फंसी दो कह चीखने वाले आज कहा थे , ऐसे ही राजीवगांधी के हत्यारों की फांसी और मांफी के बारे में भी कोई आवाज क्यों नहीं उठती सब के सब आतंकवादी ही तो है, किन्तु अफजल कसाब पर हम सभी का खून खौलने लगता है बाकियों पर नहीं, ऐसा क्यों । किराये पर घर न देने में आप के गिनाये कारणों के साथ ही एक कारण ये भी है की उन पर विश्वास नहीं है कही आतंकवादी हुआ तो, कही पुलिस बेकार में उन्हें परेशान करे तो हम भी फसेंगे , सही कहा की पुलिस सभी कमजोर तबके को परेशान करती है और सभी उसी तरह चीखते है जैसे की मुसलमान बस बाकियों की आवाज हम नहीं सुनते है पर जब बात मुसलमानों की हो तो हमरे कान कुछ ज्यादा ही सतर्क होते है । माने या न माने जाने अनजाने ये भेदभाव हम सभी किसी न किसी रूप में करते ही है , हा ये सही है की ये फर्क बस मुसलमानों के लिए नहीं है ।anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-21560908527375737682012-03-28T06:45:43.280-07:002012-03-28T06:45:43.280-07:00विचारनीय एवं गंभीर आलेखविचारनीय एवं गंभीर आलेखArun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.com