tag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post6476327895356929603..comments2023-07-29T04:48:12.311-07:00Comments on RAJAN SINGH: न हर जगह हिंसा चल सकती है न अहिंसा न नारीवादराजनhttp://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-86252214835151280852012-12-28T06:08:13.004-08:002012-12-28T06:08:13.004-08:00बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं। धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-13881897943425778962012-12-22T23:06:24.051-08:002012-12-22T23:06:24.051-08:00शालिनी जी,कमेंट के लिए शुक्रिया!
आप रचना जी को दि...शालिनी जी,कमेंट के लिए शुक्रिया!<br /> आप रचना जी को दिया मेरा प्रत्युत्तर देखिए जो मैंने कहा वो मैं कर ही रहा हूँ।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-83906036968678838202012-12-22T10:21:57.834-08:002012-12-22T10:21:57.834-08:00aap rachna ji kee bat bhi nahi sunte aashcharya ha...aap rachna ji kee bat bhi nahi sunte aashcharya hai बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति <a href="http://shalinikaushik2.blogspot.com" rel="nofollow">भारतीय भूमि के रत्न चौधरी चरण सिंह </a>Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-294893043606225022012-10-18T05:35:05.479-07:002012-10-18T05:35:05.479-07:00 .नारीवाद शायद एक मानसिक रोग की तरह है वर्ना नारी ... .नारीवाद शायद एक मानसिक रोग की तरह है वर्ना नारी और पुरुष से पहले तो हम इंसान ही है और आपने सही कहा की जन्म से कोई कमजोर नहीं होता .हम जिस परिवेश में रहते हैं उसी के कारण हम कमजोर या सशक्त होते हैं ..और इनसे सबके हटकर कमजोरी हमारे अन्दर मन भी घर कर जाय तो फिर उसे बाहर निकलना भी किसी के बस में नहीं रह पाता अब इसमें चाहे स्त्री हो या पुरुष यह बात गौण है ...आपने बहुत बढ़िया विश्लेषण किया है ..बहुत अच्छा लगा..नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं सहित कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-15100016257258066542012-07-30T05:11:19.942-07:002012-07-30T05:11:19.942-07:00मुक्ति जी,आप भी पहली बार मेरे ब्लॉग पर आई हैं.आपको...मुक्ति जी,आप भी पहली बार मेरे ब्लॉग पर आई हैं.आपको यहाँ देखकर खुशी हुई.स्वागत है आपका!<br />हाँ आपकी ये बात तो सही है कि लोग नारीवाद को समझते नहीं हैं पर मुझे लगता है कि इसे यदि ठीक ठीक सब समझ ही ले तो ऐसे वाद कि क्या कोई जरूरत भी रह जाएगी?<br />क्योंकि तब तो समाधान भी अपने आप निकल आएगा.जिस तरह महिला कमजोर होती नहीं बना दी जाती है वैसे ही पुरुष भी जन्म से ही महिला विरोधी नहीं होता.कारण या लक्षण अब समझ लिए गए हैं और इनके बारे में समाज खास तौर पर महिलाएँ अब जागरुक हुई है जो कि मेरे हिसाब से नारिवादियों के योगदान के बिना संभव नहीं था अब इसका इलाज भी ज्यादा दूर नहीं है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-11004055817767309312012-07-30T04:47:16.149-07:002012-07-30T04:47:16.149-07:00शिल्पा जी,
आपका स्वागत है.
सहमति के लिए धन्यवाद!
म...शिल्पा जी,<br />आपका स्वागत है.<br />सहमति के लिए धन्यवाद!<br />मोनिका जी,<br />धन्यवाद!<br />रचना जी,<br />हा हा हा इस बार पोस्ट के बारे में कोई वादा नहीं करूँगा लेकिन हाँ कमेंट आते रहेंगे और नारी ब्लॉग को तो मैं वैसे भी ज्यादा देर तक इग्नोर नहीं कर सकता आखिर इतने लंबे समय से लगातार पढ रहा हूँ और पहला ब्लॉग यही था जिस पर मैंने सबसे पहले कोई कमेंट किया था.बस दस एक दिन की बात और है.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-51793950476892487812012-07-30T04:35:24.773-07:002012-07-30T04:35:24.773-07:00@अंशुमाला जी,
यदि अतिवाद से बचें तो बहुत सी समस्या...@अंशुमाला जी,<br />यदि अतिवाद से बचें तो बहुत सी समस्याएँ अपने आप खत्म हो जाएँ या कम हो जाए.लेकिन हाँ जब तक समाज में किसी भी स्तर पर असमानता आ भेदभाव है उसे दूर करने के इमानदार प्रयास भी इतने ही जरूरी है.<br />@संजय जी,सबसे पहले तो आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग पर.और इस रेस्पॉन्स के लिए शुक्रिया!<br />मैं ये तो मानता हूँ कि किसी विशेष वर्ग के साथ विशेष प्रकार का भेदभाव हो सकता है लेकिन आपकी इस बात से सहमत हूँ कि अपराधियों को एक ही नजरिये से देखना चाहिए चाहे वे किसी भी वर्ग से आते हो.भरत वर्मा के बारे में मेरे भी यही विचार हैं वो जब भी टीवी पर आते हैं मैं उन्हें बडे ध्यान से सुनता हूँ.चक दे इंडिया खेलों पर बनी हुई अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है इसके अलावा मुझे नागेश कुकनूर की इकबाल बहुत पसंद हैं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-15610112216308228652012-07-29T06:20:14.905-07:002012-07-29T06:20:14.905-07:00जहाँ तक नारीवाद का प्रश्न है तो मुझे लगता है कि इस...जहाँ तक नारीवाद का प्रश्न है तो मुझे लगता है कि इसके बारे में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर बात वही करता है, जो इसके बारे में नहीं जानता. नारीवाद सिर्फ समाज को समझने का नजरिया है जिसने सबसे पहले यह कहा कि हमारा समाज इस तरह से बना है कि उसमें हर बात पहले से तय करके रखी गयी है. पितृसत्ता की अवधारणा नारीवाद की प्रमुख देन है. किसी भी समाज के पितृसत्तात्मक होने का मतलब है "उसका शासन या सत्ता जो ज्यादा शक्तिशाली हो" और ये पूरी बात ही लोकतंत्र के विरुद्ध जाती है क्योंकि लोकतंत्र में 'एक व्यक्ति एक वोट' का सिद्धांत चलता है. कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. <br />अब रही बात गुवाहाटी वाली घटना की, तो इसके बारे में हिंसा-अहिंसा की कौन सी बहस है मैं नहीं जानती. बस इतना जानती हूँ कि 'यौन हिंसा' अर्थात 'सेक्सुअल हेरेसमेंट' भी 'शक्ति' से जुड़ा हुआ है, सेक्स से नहीं. ऐसा नहीं है कि लड़कों का हेरेसमेंट नहीं होता, लेकिन उन लड़कों का होता है या छोटे होते हैं या कम शक्तिशाली होते हैं, किसी भी रूप में. और चूँकि समाज में महिलाएँ अधिक कमज़ोर हैं, शरीरिक रूप से भी और भावनात्मक रूप से भी. इसलिए उनका हेरेसमेंट अधिक होता है. <br />मैं तुम्हारी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि शोषण समाप्त करने के लिए स्त्रियों का सशक्तीकरण करना होगा. यहाँ बात हिंसा की नहीं सशक्त होने की है. 'सेल्फ डिफेन्स' की एक छोटी सी ट्रेनिंग उनमें आत्मविश्वास जगाती है. उससे भी अधिक लड़कियों को मानसिक रूप से अधिक सशक्त करना होगा.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-22964970959189294672012-07-28T22:12:23.945-07:002012-07-28T22:12:23.945-07:00Tum Jyadaa Kyun Nahin Likhtae ????
Aur aaj kal it...Tum Jyadaa Kyun Nahin Likhtae ????<br /><br />Aur aaj kal itnaa bhi vadikarn nahin ho gyaa haen ki rajan ke kament dikhana band ho jaayeरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-58140554679661621332012-07-28T11:15:26.580-07:002012-07-28T11:15:26.580-07:00किसी भी तरह का असंतुलन पैदा करने में अतिवाद की भूम...किसी भी तरह का असंतुलन पैदा करने में अतिवाद की भूमिका तो होती ही है | यूँ भी जो भी दोषी हो उसे दोषी माना जाय .... न धन बल का होना किसी को कमज़ोर या शक्तिशाली बनाये और न ही महिला या पुरुष होना | अफ़सोस ये कि हम तो हर तरह से अतिवाद का शिकार रहे हैं | बेहतरीन विवेचन .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-85962754888115214142012-07-28T10:43:50.643-07:002012-07-28T10:43:50.643-07:00@ देश ने अग्नी-5 मिसाइल का परीक्षण किया था उस समय ...@ देश ने अग्नी-5 मिसाइल का परीक्षण किया था उस समय टी.वी. पर रक्षा विशेषज्ञ भरत वर्मा ने बहुत अच्छी बात कही की हम कोई युद्ध का वातावरण नहीं बना रहे बल्कि एक 'शक्ति संतुलन' बना रहे हैं ताकि हमारा शत्रु यदि हमसे ज्यादा शक्तिशाली है तो भी उसे हम पर हमला करने से पहले ये जरूर लगेगा की सामने वाला मुझे भी अच्छा ख़ासा नुक्सान पहुंचा सकता है और इसी कारण वह हम पर जल्दी से हमला नहीं करेगा. जब हमारे पड़ोसी देश अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं तो हम ये सोचकर नहीं बैठ सकते की हम बुद्ध या गांधी के देश के हैं और अहिंसा ही हमारा धर्म है.हमें एक शक्ति संतुलन स्थापित करना होगा और जवाबी हमले के लिए भी तैयार रहना होगा ताकी शत्रु देश हमें नुक्सान न पहुंचा सके - true, i agree to the positivity in the approach, and it applies everywhere.Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-73560186899524850452012-07-28T06:44:28.771-07:002012-07-28T06:44:28.771-07:00राजन, अपना भी यही मानना है कि किसी समस्या से निबटन...राजन, अपना भी यही मानना है कि किसी समस्या से निबटने के लिए कोई एक सर्वकालिक thumbrule नहीं हो सकता, परिस्थितियों के अनुसार उपायों में फेरबदल करना ही पड़ता है| दूसरी एक बात भी कई बार कह चुका हूँ कि अपराधी को लिंग, धर्म, वर्ग से परे रखकर देखना चाहिए जबकि होता हमेशा ये है कि हम इन चीजों के आधार पर ही घटनाओं पर अपना रुख व्यक्त करते हैं लेकिन शायद मुझे ही अच्छे से कहना नहीं आता या फिर लोग इतने समझदार हैं कि समझ जाते हैं कि इस बंदे के मन में कुछ और है और कहता कुछ और है:)<br />खैर, इस पोस्ट में और जो अच्छी बात लगी, वो भरत वर्मा जी का जिक्र, टीवी पर बहस में गाल बजाते लोगों में जो चंद तेजस्वी लोग दीखते हैं, उनमें से एक हैं वो| प्रैक्टिकल और मजबूत इरादों वाले जैसा कि रक्षा से जुड़े विद्वानों को होना चाहिए| 'चक दे इंडिया' एक बार सिनेमा हाल में बच्चों के साथ देखी थी और कई बार अकेले में क्योंकि बार बार आँखें भीग जाती हैं और बच्चे मजाक उडायेंगे:)<br />लास्ट पैरा से एकदम सहमत|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8925198473646084359.post-73801302335249792582012-07-28T06:04:41.746-07:002012-07-28T06:04:41.746-07:00सही लिखा राजन जी हर जगह हर चीज नहीं चल सकती है अति...सही लिखा राजन जी हर जगह हर चीज नहीं चल सकती है अतिवाद तो हर जगह के लिए ख़राब है , और बदले के लिए किसी को इस तरह का नुकशान पहुँचने के तो मै भी खिलाफ हूँ , कुछ समय पहले हरियाणा में भी एक घटना हुई थी जिसमे प्रेमिका ने प्रेमी की शादी तय होने और खुद को धोखा देने पर प्रेमी को जला दिया था , ये कही से भी आत्मरक्षा नहीं है ये बदला हैजिसे सराहा नहीं जा सकता है , और अत्म्रखा तो हर किसी को सीखनी चाहिए ही |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.com