"मैं वामपंथी नहीं तो कलाकार नहीं" कहने वाले विशाल भारद्वाज साहब इतना तो समझते ही होंगे कि यहाँ वामपंथी व्यवस्था भी होती तो आपको यह कलाकारी दिखाने का मौका ही नहीं मिलता। फिल्म में विशाल को केवल हैदर और उसके परिवार के प्रति दर्शकों में सहानुभूति पैदा करनी थी और इसके लिए वे किसी भी हद तक चले गये हैं। यहाँ तक कि कुछ जगहों पर उन्होंने महत्वपूर्ण तथ्यों को या तो गोल कर दिया है या उन्हें तोड मरोड कर पटक दिया है।सबसे ज्यादा गुस्सा तब आता है जब एक आर्मी अफसर से ही कहलवाया गया है कि देखो हम तुम कश्मीरियों के साथ कितना बुरा कर रहे हैं और हमने कैसे तुम्हारे साथ वादाखिलाफी की यूएन के करार तोडकर ।और भारत और पाकिस्तान दोनों ने कश्मीर से सेनाएँ नहीं हटाई। जबकि सच यह है कि उस करार में भी पहले पाकिस्तान द्वारा डीमिल्ट्राईजेशन की बात है जबकि भारत को कानून व्यवस्था बनाएं रखने के लिए एक हद तक वहाँ सेना रखने की छूट है। और वैसे भी शिमला समझौते के बाद जनमतसंग्रह वाली बात पुरानी हो चुकी है। पर विशाल का मकसद भारत का भी पक्ष रखना है ही नहीं।वो क्यों नहीं बताते कि भारत ने 1988 से पहले वहाँ एक भी गोली नहीं चलाई?क्यों नहीं बताते कि कैसे कश्मीर की आबादी के एक हिस्से ने खुद धर्म के नाम पर हथियारबंद आंदोलन को सपोर्ट किया था? एक बूढ़े से थोड़ी लिप सर्विस जरूर करवाई गई है पर वहाँ भी समर्थन आजादी का ही?
खैर क्यों न हो विशाल को शायद लगता होगा कि भारत से अलग होकर गिलानी साहब और उनके समर्थक वहाँ जरूर वामपंथी व्यवस्था ही लागू करेंगे ।
अफ्सपा से बड़ा आतंकित है विशाल। लेकिन यहाँ भी बताना चाहिए कि क्या वहाँ स्थानीय पुलिस और प्रशासन स्थिति को फिर से बिगडने नहीं देंगे?
और ये कानून तो वहाँ अलगाववादियों की हमदर्द सरकार की वजह से ही है। वर्ना राज्य सरकार ने जिन इलाकों को अशांत घोषित कर रखा है उन्हें शांत घोषित कर दे। वहाँ फिर अफस्पा लग ही नहीं सकता। फिर तो सेना भी अपने जवानों के हाथ बांधकर उन्हें मरने के लिए नहीं भेजेगी। पर ये सब तथ्य विशाल को क्यों बताने हैं। उन्हें तो बस चुत्स्पा करना है।
और हां विशाल जी। कला के नाम पर कुछ भी नहीं चल जाता है यदि कोई कुछ बोल नहीं रहा तो। मां बेटे के बीच के भावुक दृश्यों को तो कम से कम द्विअर्थी बनाने की कोशिश न किया करें। नजरों का दोष जैसा घिसा पिटा बहाना मारा जा सकता है पर दर्शक आपकी नियत महसूस कर लेता है। ऐसे दृश्य असहज कर जाते हैं पर कोई कुछ बोल नहीं पाता पर मैंनें बोल दिया है ठीक है?