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Tuesday, April 26, 2011

.......तो फिर आप ही बताइये क्या करे?

लैंगिक असंतुलन और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के जितने भी ऊपाय है उनमें लडकियों को आत्मनिर्भर बनाने,बेटा बेटी में अन्तर न करने,पुरुषों द्वारा महिलाओं का सम्मान करने,दहेज जैसी परंपरा को खत्म करने,बेटियों द्वारा माँ बाप की अर्थी को कंधा देने की परंपरा की शुरुआत करने जैसी बातों पर बल दिया जा रहा है.हमने तो लोगों को ये तक समझाते देखा है कितनी ही कल्पना चावलाओं और किरण बेदियों को हमने संसार में आने से रोक दिया.तो क्या इनमें महिलाओं की क्षमता,उन्हें 'खर्च' न समझकर 'कुमाउँ पुत्री' समझने और असमानता खत्म करने का आह्वान आपको नहीं दिखाई देता?
एक और मासूम सा प्रश्न बहन क्या केवल इसलिये चाहिये ताकि वो भाई को राखी बाँध सकें???भई वाह! वैसे बाता दूँ कि स्वार्थ स्वार्थ में फर्क होता है भाई को बहन की कमी महसूस हो रही है तो यह उसका एक स्नेहिल स्वार्थ है कोई भी भाई समझ सकता है जिसकी बहन न हो.कलाई सूनी रह जाने का प्रयोग प्रतीकात्मक है .


अभिशाप नहीं वरदान है,बेटा बेटी एक समान,अजन्मी बेटी की पुकार जैसे नारो द्वारा आम आदमी तक ये ही बात पहुँचाई जा रही है.उँची जाति वाले लडके जो लडकियों को दुत्कारते रहे है उनका घमँड अब टूट रहा है कुछ समय पहले किरन बेदी ने भी लडकियों के एक समूह से ये बात कही थी.लेकिन अब मैं कह रहा हूँ तो इसका कोई दूसरा ही अर्थ लिया जा रहा है.
इतिहास में लडकियों की संख्या कम होने पर बहुपति प्रथा,अनैतिक व्यापार,बाल यौन शोषण आदि बढे है.चीन में हाल ही में जब लडकियों की संख्या अचानक से बेहद कम होने लगी तो वहाँ भी बलात्कार,यौन शोषण,अपहरण आदि घटनाओं में वृद्धि हो गई और वहाँ परिवार नियोजन के सख्त उपाय किये गये.ये तथ्य सच है.और प्राकृतिक असंतुलन व मानवता के खत्म होने की ही निशानी है.चलिये ये तथ्य न रखें तो आप ही बताइये आम आदमी को ये बात कैसे समझाऐ?इतना भर कह देने से काम नहीं चलेगा कि नेचुरल इंबैलेंस का खतरा है और न ही उसके समझ में आएगा.
फिर भी फिर भी आपकी बात समझ रहा हूँ.आपका कहना है कि इन तथ्यों को रखने से समाज में एक गलत संदेश जा रहा है तो ये मेरे लिये भी सोचने का विषय है कि कैसे.मगर आप रूकिये तो सही, सुनिये तो सही आप तो मैंने कुछ कहा और पहले ही अपने हिसाब से तय करने बैठ गये कि इसका मतलब ये और उसका मतलब वो.तो आप ही बताएँ हम अपनी बात कैसे कहे?

5 comments:

राजन said...

आधी अधूरी तैयारी (और मनोबल) के साथ ये ब्लॉग शुरु करना पड रहा है.यह पोस्ट भी एक स्पष्टीकरण मात्र है जो एक ब्लॉग पर मेरे द्वारा की गई टिप्पणी और उस पर आए जवाब को लेकर है.मैं अपनी टिप्पणिकार की भूमिका से बहुत खुश हूँ और समय बेहद कम होने के कारण दो तीन ब्लॉगो से ज्यादा नियमित पढ भी नहीं पाता.मेरी टिप्पणियाँ आजकल कुछ ज्यादा ही लंबी होने लगी थी और कई बार एक खास बिंदू पर कमेंट करना रोकना पडता जहाँ से बहस शुरू होती है.अब आगे क्या होगा देखा जाएगा.

राजन said...
This comment has been removed by the author.
रचना said...

leejiyae mae line haazir hun
aur
aap mujhe behad priy haen yae bhi spasht kar dun

aap ki tippani kaa hamesha swagat haen

shyaad us post par mae apni baat samjhaane mae vifal hui hun

aare bhul gayee

rajan blog ki badhaaii

likhtey rahey

kament ki chintaa naa karey

ssneh
rachna

रचना said...

1 naari blog ki post kaa link bhi lagaa dae taaki log samjh sakey aap ne kehaa kyaa kehaa haen

2 word verification hataa dae

jab tak niyamit nahin likh paa rahey haen is blog par apnae diyae huae kament ko sangahit kartey rahey link kae saath taaki jab samay ho aap un pa vistaar sae likh sae


aaj kae liyae itane sujhaav kafi haen

राजन said...

रचना जी,
आपका स्वागत है मेरे इस नवजात ब्लॉग पर.ये सब चलता रहता है.बस कोई गलतफहमी को जगह न मिलने पाए.स्नेह व सहयोग बनाए रखें.वर्ड वेरीफिकेशन हटा लिया है लेकिन ये लिंक वगेरह लगाना अभी सीखना पडेगा हाँ आप चाहें तो अपनी पोस्ट का लिंक दे सकती है.आपके सभी सुझावों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.