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Tuesday, April 26, 2011

MLM का बढता चलन

कुछ समय पहले हमारे एक किरायेदार भैया कई दिनों से पीछे पडे हुए थे एक स्कीम को लेकर.आप सात हजार रुपये दीजिए आपका रजिस्ट्रेशन एशिया की टॉप फाइव कंपनियों में से एक हमारी कंपनी में हो जाएगा इसके बाद आपको पाँच मेंबर जोडने होंगे और प्रत्येक ज्वायनिंग पर आपको तीन तीन सौ के चैक मिलेंगे फिर उन मेंबरों को भी 5-5 मेंबर जोडने पडेंगे और जैसे जैसे ये चैन बढती जाएगी आपको फायदा मिलता जाएगा.सारा हिसाब समझाया कि कैसे कुछ ही महीने में आप करोडपति बन जाएँगे.लेकिन मेंने इन सबके बारे में पहले भी सुन रखा था सो किसी तरह टालता रहा.इस चेन सिस्टम को एम एल एम यानी मल्टी लेवल मार्केटिंग कहते है आजकल ऐसी कंपनियाँ लगभग हर शहर में फैलती जा रही है.

ऐसे प्लान सुनने में बडे आकर्षक लगते है और समझाने वालों की भी दाद देनी पडेगी वो बताते ही इस तरह हैं कि आदमी चाहें जितना समझदार हो एक बार लालच के चलते इनके झाँसे में आ ही जाता है यहाँ तक की कई लोग लालच में आकर पैसा ब्याज पर लेकर भी इन स्कीमों में लगा देते है.लेकिन शुरू में तो कुछ फायदा होता है पर बाद में पता चलता है या तो कंपनी ही भाग गई या काम ही ठप्प पड गया यानी मेंबर ही नहीं मिल रहे.जितनी रकम लगाई उसमें से आधी ही वापस मिली बाकी डूब गई.यही नहीं कई कंपनियाँ तो सदस्यता नवीनीकरण के नाम पर फिर से कुछ रकम झटक लेती है.कई कंपनियों की धोखाधडी और रातोंरात भागने की खबरें आ चुकी है लेकिन फिर भी लोग सबक लेने को तैयार नहीं हैं.
ऐसा नहीं है सभी कंपनियाँ फर्जी ही है कुछ कंपनियाँ लंबे समय से जमी भी हुई है जो सदस्यता राशि जमा कर अपने उत्पाद बेचने के लिये भी अपने मेंबरों को देती है जिन पर उन्हें कुछ कमीशन मिलेगा लेकिन ये प्रोडेक्ट बहुत महँगे होते है साथ ही रोजमर्रा में कम ही उपयोग में लाए जाते है यही कारण है कि कई लोग जो बहुत उत्साह से इनसे जुडते है बाद में उदासीन हो जाते है और अच्छी भली रकम गँवा बैठते है.ये एक तरीके से संबंध बिगाडू काम भी है कई लोग जो अपने मित्रों रिश्तेदारों को मेंबर बना लेते है वो खुद के साथ साथ दूसरों का भी नुकसान कराते है और इसी कारण कई बार संबंधों में खटास भी आ जाती है.जहाँ निवेश कम जोखिमपूर्ण और कंपनी विश्वसनीय हो वहाँ बात अलग है पर मेरा तो मानना है कि इन पचडों से बचना ही सही है वर्ना खाया पीया कुछ नहीं गिलास तोडा बारह आना.

7 comments:

रचना said...

apna blog hamarivani
apnablog.co.in ityadi poar register karvaa dae

anshumala said...

बिल्कुल सही कहा इस तरह की ज्यादातर कंपनिया फर्जी ही होती है और इनके उत्पाद काफी महंगे होते है बाजार में उपलब्ध महंगे ब्रांड से भी महंगा | एम वे भी पहले ऐसी ही कंपनी थी कहती थी की हम टीवी पर विज्ञापन नहीं देते है जितना विज्ञापन देने में खर्च करेंगे उतना ही पैसा आप लोगों को हमारा उत्पाद बेचने पर दे देंगे इसमे हमारा और आप का ज्यादा मुनाफा है पर आज वो खुद विज्ञापन दे रही है | कई बार तो लोगों के जबरजस्ती दिये उत्पाद से और बक बक से दिमाग ख़राब हो जाता था | ब्लोगिंग की शुरुआत के लिए शुभकामनाये |

राजन said...

रचना जी,
आपके कहे अनुसार ब्लॉग को हमारीवाणी पर रजिस्टर करवा दिया है.अब उन पर है.वैसे टिप्पणियाँ तो आती सी ही आएंगी.पिछली पोस्ट पर वो कमेंट मैंने बस यूँ ही कर दिया था.

राजन said...

अंशुमाला जी स्वागत है आपका.ये कम्पनियाँ शुरू में जो फॉर्म भरवाती है उसमें इस तरह की भी शर्त होती है कि कंपनी बिना किसी पूर्व सूचना के किसी भी नियम या नीति में परिवर्तन कर सकती है.लकिन कौन इन बातों पर ध्यान देता है.वैसे आजकल ये काम हमारे शहर में कुछ ज्यादा ही हो रहा है.कोई भी कहीं भी पकड लेता है करोडपति बनाने के लिये.

शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.

हल्ला बोल said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Dr. Zakir Ali Rajnish said...

BLOG JAGAT MEN SWAGAT HAI.
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ब्लॉdग समीक्षा की 12वीं कड़ी।
अंधविश्वास के नाम पर महिलाओं का अपमान!

एक बेहद साधारण पाठक said...

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ब्लॉग जगत में स्वागत है मित्र
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