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Friday, August 19, 2011

...क्योंकि फिर नहीं मिलेगा मौका

भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बनता दिख रहा है. देशभर में बहुत से लोग सडकों पर है तो बहुत से 
सोशल साइटों पर डँटे हुए है.परंतु यह संख्या बहुत कम नहीं तो बहुत ज्यादा भी नहीं है.ब्रेकिंग न्यूज की होड में ही सही प्राईवेट न्यूज चैनलों ने जनलोकपाल की मुहिम को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड रखी.परतु अभी अभी क्रिकेट मैच फिर से शुरु हो चुके हैं .लोगों का रुझान इस तरफ भी निश्चित रूप से होगा.वहीं न्यूज चैनल भी अपने क्रीकेट प्रेमी दर्शकों को निराश नहीं करेंगे.इस और अगले शुक्रवार को नई फिल्में भी आ सकती है.इसके अलावा बहुत से लोग तो केवल दूरदर्शन पर ही निर्भर है जिसने तीन दिन से विरोध प्रदर्शन की संभवतः एक भी तस्वीर नहीं दिखाई है.ऐसे में एक बडा वर्ग हमारे आस पास है जिसका ध्यान इस ओर से हट सकता है.और भी कई लोग है जो इसे एक सामान्य आंदोलन ही मान रहे है क्योंकि उन्हें अभी भी जनलोकपाल बिल के बारे में सामान्य बातें भी नहीं पता.ऐसे में हम लोगों की जिम्मेदारी बढ जाती है जो इस बारे में पर्याप्त जानकारी रखते है.
मैंने खुद अपने छोटे भाई और कुछ दोस्तों को जो इस बारे में रुचि नहीं ले रहे थे इसके बारे में बुनियादी बाते खासकर सरकारी बिल की कमियों जैसे शिकायत निराधार पाए जाने पर शिकायतकर्ता को ही दो साल की सजा और शिकायत सही पाए जाने पर दोषी को केवल छह सात माह की सजा आदि के बारे में बताया है.केवल इतनी बातें ही काम कर गई और उन्हें समझ में आ गया कि ये अवसर क्यों महत्तवपूर्ण है.यहाँ ब्लॉग जगत में बहुत से लोग खासकर महिलाएँ इस आंदोलन का समर्थन अपने तरीके से कर रही है.मैंने भी उनके ब्लॉग के साथ साथ कुछ मीडिया साईटों पर भी कमेंट किये है.लेकिन अब लगता है केवल इतने से काम नहीं चलेगा.क्योंकि अब लगने लगा है कि यदि ये अवसर निकल गया तो हमेशा मन में ये बात कचोटेगी कि देश के लिए एक मौका आया और मैं सक्रीय रुप से कुछ नहीं कर पाया.हालाँकि हम प्राइवेट जॉब करने वालों के लिए समय निकालाने थोडा मुश्किल होता है लेकिन अब किसी भी तरह अपना छोटा सा योगदान देना ही होगा.
अब कल से हमारे शहर में भी जगह जगह छात्रों व्यापारियों और आम लोगों की रैलियाँ निकलनी शुरु हो गई है.अतः अब मेरी पूरी कोशिश होगी लाज शर्म का घूँघट उतारकर ऐसी ही किसी रैली सभा संगत में शामिल होने की.दोस्तों और भाई को साथ लेने से हिचकिचाहट थोड़ी कम होगी(जो हम माध्यम वर्ग के लोगों कि ख़ास समस्या है)और काम आसन हो जायेगा.
           अतः आप भी कोशिश कीजिये लोगों को ये बताने की कि क्यों ये अवसर इतना महत्तवपूर्ण है.नई फिल्में,क्रिकेट,सास बहु कि चुगली सब कुछ दिनों के लिए बंद कीजिये या कम कीजिये और हो सके तो विरोध प्रदर्शनों में शामिल होइए या फिर अपने आस पास के लोगों को जन लोकपाल के बारे में जानकारी दीजिये.क्योंकि ये माहौल सिर्फ १५-२० दिन नहीं बल्कि लम्बे समय तक बनाएं  रखना हमारी ही जिम्मेदारी है.जितना हो सके जैसे हो सके हम अपना योगदान दे सके तो अच्छा होगा.
           अंत में एक बात और इस बिल के सभी प्रावधान लागू हो जाने के बाद लोकपाल विधायिका,न्यायपालिका  या कार्यपालिका के किसी काम में कोई दखल नहीं देगा.लोकपाल और लोकायुक्त केवल इनसे सम्बंधित  भरष्टाचार के मामलों कि सुनवाई और जांच करेगा इसलिए ये कहना बिलकुल गलत है कि इसके आ जाने के बाद संविधान कि मूल आत्मा ही ख़त्म हो जाएगी.हमारे चुने हुए प्रतिनिधि घोटाले करे या हमारा टैक्स खाए तो हम क्या करे? फिर से पांच साल का इन्तजार? क्योंकि बीच में यदि हमने शिकायत कि तो कहा जायेगा कि आप जो कर रहे है कानून के खिलाफ है और आप इन्हें अगले चुनाओं में सबक  सिखा सकते है इनके खिलाफ वोट करके और अपने मनपसंद के उम्मीदवार  को जिताकर.क्या बेहूदा तर्क है यानी कि तब तक वो हमें लूटता रहे.और क्या गारंटी है कि उसके बाद आने वाला प्रतिनिधी वहाँ जाकर हमारी मांगों को पूरा करेगा.अभी जो सांसद है उन्हें भी तो जनता ने ही भेजा है पर क्या कर रहे है वो आज.भरष्टाचार रोकने के नाम पर एक ऐसा कानून ला रहे है जो उलटे इसे बढ़ावा देगा.ये काम वो हमारा प्रतिनीधि बनकर  कर रहे है.यानी एक ऐसा क़ानून जिसमे किसी भरष्ट सांसद के खिलाफ कि गई कोई शिकायत झूठी या फ़ालतू पाई जाती है तो शिकायतकर्ता को २ साल कि जेल होगी और सच पाई जाती है तो दोषी को केवल ६ या ७ माह कि ही सजा होगी, वो हमारी मर्जी से बन रहा है?ऐसा है जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा shaashan ?हमने वहाँ लोगों को जिताकर भेजकर खूब देख लिया लेकिन वहाँ पिछले ६५ साल से माहौल ऐसा हो चूका है कि कोई भी अच्छा आदमी जनता के हित में फैसले खासकर के करप्शन के खिलाफ ले ही नहीं सकता है.क्योंकि उसकी कुछ चलती ही नहीं है.इसलिए अच्छा हो कि हम इस समस्या का एक परमानेंट या बहुत हद तक प्रभावी समाधान यानी जन लोकपाल को समर्थन दें.इसीलिए मेरा समर्थन किसी व्यक्ति  को न होकर इस बिल को है.क्योंकि यदि एक बार  ये मौका हाथ से निकल गया  तो मुझे नहीं लगता कि फिर कभी हम अपनी बात सही से रख पायेंगे.

4 comments:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

कुछ तो ठोस और सकारात्मक परिणाम आने ही चाहिए ... यह हमारी भागीदारी के बिना संभव नहीं है......

anshumala said...

बिल्कुल सही कहा राजन | पर आप के पास अब तीन दिन है शनिवार रविवार और सोमवार भी इस आन्दोलन में अपना जमीनी योगदान देने का वैसे लोगों को प्रेरित करना उन्हें जानकारी देना भी एक तरह से आप का योगदान ही है आप अपने आस पास वाले को भी जानकारी दे इसे और आगे बढ़ सकते है |

केवल राम said...

अब तो दिशा बदली है ..दशा बदलनी चाहिए ....!

SM said...
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